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जन्‍माष्‍टमी के व्रत में इन नियमों का पालन जरूरी

सृष्टि के तारणहार भगवान विष्‍णु ने समय-समय पर अलग-अलग अवतार लेकर संपूर्ण ब्रह्मांड को संकट से बचाया है और समस्‍त मानव जाति का उद्धार किया है। इसी क्रम में भगवान विष्‍णु ने द्वापर युग में भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी तिथि को रोहिणी, नक्षत्र में कृष्ण के रूप में अवतार लिया। इस दिन को भगवान कृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव जन्‍माष्‍टमी के रूप में मनाया जाता है

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