जिंदगी जीने की उम्मीद दे रहा यह एड्स पीड़ित
अपनी बीमारी से लड़ते हुए पूरे 10 साल बाद 2014 में मनीष ने उज्जैन में ही एचआईवी-पॉजिटिव लोगों के लिए एक आश्रय भी बनवाया है। 2004 में मनीष को उस वक्त खुद के एड्स पीड़ित होने का पता चला जब फनकी पत्नी प्रेगनेंट थीं।
from The Navbharattimes https://ift.tt/2FPgJV6
from The Navbharattimes https://ift.tt/2FPgJV6
Post a Comment